भारत के खिलाफ PAK के साथ मिलकर चीन की चाल, क्या सार्क की जगह ले पाएगा नया संगठन?

चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर क्षेत्र में बड़ी चालबाजी दिखाने की प्लानिंग कर रहा है. चीन पाकिस्तान और क्षेत्र के अन्य देशों के साथ मिलकर सार्क की जगह एक नया क्षेत्रीय संगठन बनाने की सोच रहा है. पड़ोसी देश के इस कदम से भारत की चिंताएं बढ़ सकती हैं.

चीन भारत को काउंटर करने के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर एक नया क्षेत्रीय संगठन बनाने की प्लानिंग कर रहा है. पाकिस्तान के इस्लामाबाद में राजनयिक सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है कि सार्क (SAARC) के शिथिल पड़ जाने के बाद नए संगठन को लेकर चर्चा चल रही है. सूत्र ने बताया कि हाल ही में चीन के कुनमिंग ने चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश की त्रिपक्षीय बैठक के बाद इस संगठन की प्लानिंग को बल मिला है. हालांकि, संगठन को लेकर अभी औपचारिक विवरण गुप्त रखे गए हैं

बताया जा रहा है कि प्रस्तावित संगठन में भारत समेत कई दक्षिण और मध्य-एशियाई देशों को शामिल करने की बात कही जा रही है. लेकिन, चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ भारत के तनावपूर्ण रिश्तों को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत चीन के प्रस्तावित संगठन का हिस्सा नहीं बनेगा. मामले से परिचित एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, ‘इसका उद्देश्य क्षेत्र में गति पैदा करना है, न कि सार्क के आगे बढ़ने का अनिश्चित काल तक इंतजार करना.

क्या है SAARC?

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) क्षेत्र में आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय विकास और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है. यह 8 देशों भारत, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का संगठन है जिसका द्विवार्षिक सम्मेलन 2014 से ही आयोजित नहीं हुआ है. सार्क का गठन 1985 में ढाका में हुआ था और इसका सचिवालय नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है.

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण सार्क की द्विवार्षिक बैठकें 2014 के बाद से ही निलंबित हैं जिससे संगठन की प्रभावशीलता बेहद कम हो गई है.

दरअसल, 2016 में सार्क का शिखर सम्मेलन पाकिस्तान में आयोजित होना था लेकिन उसी दौरान उरी आतंकी हमला हुआ जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया और शिखर सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

तब से ही सार्क निष्क्रिय बना हुआ है. चीन ने मौजूदा क्षेत्रीय शून्यता का लाभ उठाने के मकसद से क्षेत्र के देशों को एकजुट करना शुरू कर दिया है और अब वो नए संगठन की प्लानिंग कर रहा है. 

इसी बीच चीन ने अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए दक्षिण एशिया में अपनी उपस्थिति भी बढ़ाई है और अब वो अपने नेतृत्व में एक नया संगठन बनाकर सार्क को पूरी तरह से खत्म करना चाहता है.

विश्लेषकों का कहना है कि कुनमिंग त्रिपक्षीय बैठक बांग्लादेश जैसे छोटे क्षेत्रीय खिलाड़ियों को टेस्ट करने का एक तरीका था कि वो नए संगठन के लेकर कितने रुचि रखते हैं. नए संगठन की घोषणा के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है लेकिन अधिकारियों ने संकेत दिया है कि साल के अंत तक एक फ्रेमवर्क सामने आ सकता है. माना जा रहा है कि यह फ्रेमवर्क संभवतः आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठकों के आसपास आ सकता है. भारत और पाकिस्तान दोनों ही एससीओ के सदस्य हैं

क्या चीन बना पाएगा सार्क की जगह नया क्षेत्रीय संगठन?

भारत के बगैर चीन क्षेत्रीय देशों को मिलाकर यह संगठन बना लेता है तो इससे क्षेत्रीय सोच में बदलाव का संकेत जाएगा. यह भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है. लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अन्य दक्षिण एशियाई देश, खासतौर पर नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश नए संगठन को लेकर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं.

बांग्लादेश ने पिछले हफ्ते चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर कोई नया गठबंधन बनाने से इनकार कर दिया था. 26 जून को, बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से जब 19 जून को बांग्लादेश-चीन-पाकिस्तान की बैठक के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, ‘बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान के बीच कोई नया गठबंधन नहीं है.’

हुसैन ने कहा था, ‘हम कोई गठबंधन नहीं बना रहे हैं. यह आधिकारिक स्तर पर बैठक थी, राजनीतिक स्तर पर नहीं… इसमें किसी गठबंधन को बनाने की बात नहीं की गई.’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध अब फिर से बेहतर हो रहे हैं और हमारी ओर से सद्भावना की कोई कमी नहीं है.’

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