सेहत:बच्चों में बढ़ रहे हैं दिल के दौरे के मामले, अपने बच्चे को इससे बचाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना होगा, जानिए

पहले 40 वर्ष से ऊपर के लोगों को दिल के दौरे का ख़तरा होता था परंतु अब छोटे-छोटे बच्चे भी इसकी ज़द में हैं। ऐसा क्या है जो हम नहीं समझ पा रहे हैं? इस चिंताजनक स्थिति पर ध्यान देना ज़रूरी है।

बीते कुछ महीनों में छोटे बच्चों में हृदयाघात के कई मामले सुनने में आए हैं। एक बच्ची को चलते-चलते दिल का दौरा पड़ गया और वहीं उसकी जान चली गई। उसमें ना तो कोई लक्षण नज़र आए और ना ही वजह पता चली। बच्चों में हार्ट अटैक के मामले बहुत दुर्लभ होते हैं, लेकिन सडन कार्डियक अरेस्ट या अचानक दिल बंद हो जाना एक चिंताजनक समस्या बनती जा रही है। बच्चों में दिल से जुड़ी समस्याओं के कारण वयस्कों की तुलना में कुछ अलग होते हैं।

दो सबसे बड़े कारण

आजकल खानपान में पोषण की कमी, अधिक वसायुक्त और तले-भुने खाद्यों का सेवन और अत्यधिक जंक फूड बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहे हैं। इनके अलावा, शारीरिक गतिविधि की कमी भी एक बड़ा कारण है। बच्चों का अधिकतर समय स्क्रीन के सामने बीतता है, जिससे उनकी शारीरिक सक्रियता घट रही है। मोटापा बढ़ रहा है और इसका सीधा असर उनके हृदय पर पड़ रहा है। मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याएं भी धीरे-धीरे बच्चों में बढ़ रही हैं, जो आगे चलकर दिल की बीमारियों को जन्म दे सकती हैं।

ये भी कारण हैं कमज़ोर दिल के

बच्चों में हार्ट अटैक के पीछे कई कारक हो सकते हैं, जिनमें कुछ जन्मजात और कुछ जीवनशैली से जुड़े हुए हैं-

हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी…

इसमें हृदय की मांसपेशियां असामान्य रूप से मोटी हो जाती हैं, जिससे दिल की धड़कन बहुत तेज़ हो सकती है और कार्डियक अरेस्ट का ख़तरा बढ़ जाता है। यह आनुवंशिक समस्या हो सकती है।

चैनलोपैथी…

शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम और पोटैशियम को संतुलित करने वाले चैनल्स में गड़बड़ी के कारण दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है। इससे दिल बहुत तेज़ या बहुत धीमा धड़क सकता है, जिससे जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

धमनियों में रुकावट…

हार्ट अटैक हृदय की धमनियों में रुकावट के कारण होता है। वयस्कों में यह आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण होता है, जबकि बच्चों में यह धमनियों के विकास में असामान्यता के कारण हो सकता है।

जन्मजात हृदय दोष…

कुछ बच्चों के हृदय में जन्म से छेद होता है या उनकी रक्त वाहिकाएं असामान्य रूप से विकसित होती हैं, जिससे भविष्य में दिल की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

एएलसीएपीए सिंड्रोम…

इसमें हृदय की मुख्य धमनी एओर्टा के बजाय पल्मोनरी आर्टरी से निकलती है, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।

संक्रामक रोग और सूजन…

कुछ संक्रमण और ऑटोइम्यून रोग हृदय की मांसपेशियों में सूजन ला सकते हैं, जिसे मायोकार्डिटिस कहा जाता है। यह दिल को कमज़ोर कर सकता है और गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

आर्टरी में सूजन…

कुछ बच्चों में आनुवंशिक कारणों से दिल की धमनियों में सूजन हो सकती है, जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है। यह समस्या युवाओं और बच्चों में दुर्लभ होती है लेकिन पूरी तरह से नकारी नहीं जा सकती।

कावासाकी रोग…

इसमें धमनियों में सूजन और रुकावटें बन सकती हैं, जो हृदयाघात का कारण बन सकती हैं। बच्चों और वयस्कों में होने वाले हृदयाघात के कारण अलग-अलग होते हैं और उनके उपचार की रणनीति भी अलग होती है। बचाव के सामान्य उपाय दोनों के एक जैसे हैं।

मेटाबॉलिज़म भी है वजह

आजकल बच्चों की शारीरिक सक्रियता बहुत कम है और उनके भोजन में कैलोरी बढ़ रही है। इसका सीधा असर उनके मेटाबॉलिज़म पर पड़ रहा है। जब शरीर में अधिक वसा पहुंचती है, तो वह धीरे-धीरे धमनियों में जमने लगती है और रक्त संचार में बाधा डाल सकती है। इसके कारण कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है, उच्च रक्तचाप हो सकता है और मधुमेह जैसी बीमारियों का ख़तरा बढ़ सकता है।

मेटाबॉलिक टेस्ट कब करवाना ज़रूरी है?

अगर बच्चे का वज़न ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ रहा है, वह जल्दी थक जाता है, खेल-कूद या दौड़ने-भागने जैसी गतिविधियों में रुचि नहीं लेता, तेज़ चलना हो तो उसकी सांस फूलती है या बार-बार बीमार पड़ता है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है। लिपिड प्रोफाइल, रक्तचाप, शुगर स्तर और अन्य मेटाबॉलिक टेस्ट कराकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बच्चा किसी गंभीर स्थिति की ओर तो नहीं बढ़ रहा है।

इस समस्या को रोकना ज़रूरी है

  • बच्चों के आहार में ताज़े फल, हरी सब्ज़ियां, फाइबर युक्त भोजन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। बच्चे को जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, अत्यधिक नमक व मीठे खाद्य पदार्थ ना दें। बाज़ार के चीज़, पनीर, मेयोनीज़ से भी पूरी तरह परहेज़ करें।
  • बच्चों को खेल-कूद, दौड़ने और व्यायाम के लिए प्रेरित करें। रोज़ाना कम से कम एक घंटे की शारीरिक गतिविधि दिल को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
  • अगर परिवार में किसी को दिल से जुड़ी बीमारी रही है, तो बच्चों का समय-समय पर कार्डियोलॉजिस्ट से चेकअप करवाना ज़रूरी है।
  • आजकल की प्रतिस्पर्धा भरी दुनिया में बच्चे तनाव में रहते हैं, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। योग और ध्यान जैसी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करें। बच्चों को पढ़ाई को लेकर तनाव न दें।
  • अगर बच्चा खेलते समय जल्दी थक जाता है, सीने में दर्द की शिकायत करता है, उसे बार-बार चक्कर आते हैं, सांस लेने में तकलीफ़ होती है या त्वचा का रंग नीला पड़ने लगता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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