
गुडगांव, 5 अप्रैल (अशोक) : महिंद्रा विश्वविद्यालय ने सिंधु घाटी सभ्यता की खोज की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया, जो भारत की ऐतिहासिक विरासत की आधारशिला है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यजुलु मेदुरी ने बताया कि यह संगोष्ठी महिंद्रा विश्वविद्यालय की शोध टीम की अंत:विषय परियोजना के एक भाग के रूप में आयोजित की गई थी, जो सिंधु घाटी लिपि को समझने पर काम कर रही है।
संगोष्ठी में सिंधु घाटी सभ्यता (आईवीसी) के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी गई, जो 5,000 साल से भी पुरानी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. स्मिता एस. कुमार ने कहा कि हड़प्पा की विरासत का स्थायी आर्थिक, सांस्कृतिक, भाषाई और तकनीकी प्रभाव है। इसने न केवल दुनिया के आर्थिक परिदृश्य को आकार दिया, बल्कि अंतर-सांस्कृतिक संपर्कों को भी बढ़ावा दिया, जिसने आने वाली शताब्दियों में वैश्विक व्यापार प्रणालियों की नींव रखने में मदद की। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के प्रो. केपी राव , प्रो. सुचंद्रा घोष, डॉ. राधिका ममिडी सहित कई पुरातत्वविदों ने अपने विचार व्यक्त किए।