
(रिपोर्ट: हेमलता शर्मा)
पटना: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर नीतीश कुमार के समर्थन से JDU के कई मुस्लिम नेता नाराज़ हैं। इसी वजह से पार्टी में विद्रोह की स्थिति बन गई है और एक-एक कर पांच मुस्लिम नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सबसे पहले राजू नैयर ने इस्तीफा देकर बगावत की शुरुआत की, जिसके बाद तबरेज सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शाहनवाज मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी ने भी पार्टी से किनारा कर लिया। अंत में नदीम अख्तर ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया।
राजू नैयर ने अपने त्यागपत्र में लिखा, “वक्फ संशोधन विधेयक के पास होने और JDU के समर्थन के बाद मैं पार्टी से अपना नाता तोड़ रहा हूं। यह काला कानून मुसलमानों के अधिकारों का हनन करता है, और मैं इससे गहराई से आहत हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वे पार्टी के इस् फैसले से बेहद दुखी हैं।
नीतीश पर पप्पू यादव का हमला
सूत्रों के अनुसार, नदीम, राजू और तबरेज ने शुक्रवार को अपना इस्तीफा सौंपा, जबकि शाहनवाज और मोहम्मद कासिम अंसारी ने गुरुवार को ही पार्टी छोड़ दी थी। राजू नैयर, जो जेडीयू युवा के पूर्व राज्य सचिव रह चुके हैं, उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा देने की जानकारी दी। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे सभी जिम्मेदारियों से मुक्त करने की अपील की।

टूटा भरोसा, दुखी हैं मुस्लिम नेता
तबरेज सिद्दीकी अलीग ने भी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी पर मुस्लिम समुदाय का भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया। शाहनवाज मलिक ने अपने पत्र में लिखा, “हमें विश्वास था कि आप धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए खड़े हैं, लेकिन अब वह विश्वास टूट चुका है। वक्फ बिल पर JDU के रवैये ने लाखों भारतीय मुसलमानों को निराश किया है।”
प्रवक्ता का पलटवार: ‘‘ये लोग पार्टी में नहीं थे’’
इस पूरे मामले पर JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अंसारी और मलिक कभी पार्टी के आधिकारिक सदस्य नहीं थे। अंसारी ने सोशल मीडिया पर खुद को पूर्वी चंपारण में मेडिकल सेल का अध्यक्ष बताया था और दावा किया कि वे ढाका विधानसभा से उम्मीदवार थे, जबकि 2020 के चुनाव में JDU ने उस सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। वह सीट BJP ने जीती थी। राजीव रंजन ने कहा, “मैं लंबे समय से पार्टी से जुड़ा हूं और पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि इन दोनों का पार्टी से कोई वास्ता नहीं रहा है।”