भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 54वीं बैठक आज, 7 अप्रैल से शुरू हो रही है। इस बैठक से बड़ी उम्मीदें जुड़ी हैं, क्योंकि कयास लगाए जा रहे हैं कि रेपो रेट में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती की जा सकती है। यदि ऐसा होता है, तो यह इस वर्ष की दूसरी बार होगा जब RBI नीतिगत दरों में बदलाव करेगा। इससे पहले फरवरी में रेपो रेट को घटाकर 6.25 प्रतिशत किया गया

(Publish by : Vanshika Sharma)
Updated: April 7, 2025 07:00 am
Rajasthan , India
ग्लोबल चुनौतियों के बीच रेपो रेट में कटौती की संभावना
दुनियाभर में आर्थिक अस्थिरता और अमेरिका की ओर से लगाए गए उच्च टैरिफ जैसे वैश्विक दबावों को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि RBI अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों में कटौती का रास्ता अपनाएगा। अमेरिका द्वारा भारत समेत कई देशों पर 11-49% तक के पारस्परिक शुल्क लगाने से निर्यात और मुद्रा बाजार पर असर पड़ सकता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि नई मौद्रिक नीति ऐसे वक्त में आएगी जब वैश्विक और घरेलू दोनों ही स्तरों पर अनिश्चितताएं हैं। MPC को इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए सोच-समझकर निर्णय लेना होगा।
रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों की अलग-अलग राय
रेटिंग एजेंसी इक्रा का मानना है कि MPC इस बार भी ‘तटस्थ रुख’ अपनाएगी और रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा सकती है। वहीं, उद्योग संगठन एसोचैम का सुझाव है कि फिलहाल दरें स्थिर रखी जाएं और ‘वेट एंड वॉच’ नीति अपनाई जाए। उनके अनुसार, हाल ही में RBI द्वारा बाजार में नकदी डाले जाने के असर को देखने के लिए समय दिया जाना चाहिए।
आवासीय क्षेत्र को मिलेगी मजबूती
सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि रेपो रेट में कटौती से आवास क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलेगी। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कमी से लोन सस्ते होंगे, जिससे अधिक लोग घर खरीदने को प्रेरित होंगे और रियल एस्टेट क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस कटौती का असर इस बात पर निर्भर करेगा कि कमर्शियल बैंक इस राहत को कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।
मुद्रास्फीति नियंत्रण में, GDP को बूस्ट देने की जरूरत
वित्तीय विशेषज्ञों के मुताबिक, फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 3.61% पर आ गई थी, जो पिछले सात महीनों में सबसे कम है। ऐसे में RBI के पास दरों में कटौती की गुंजाइश बनती है। आगामी वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ के 6.7% रहने का अनुमान है, जिसे और मजबूत करने के लिए मौद्रिक नीति में ढील दी जा सकती है।
फैसला 9 अप्रैल को होगा घोषित
MPC की तीन दिवसीय बैठक 9 अप्रैल को अपने निष्कर्ष पर पहुंचेगी। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि RBI मौद्रिक रुख को लेकर क्या निर्णय लेता है – दरों में राहत मिलेगी या सतर्कता बनी रहेगी।