
वरिष्ठ संवाददाता सुनील कुमार पांडेय चंडीगढ़
भारतवर्ष के आधुनिक इतिहास में उन्नीसवीं व बीसवीं शताब्दियां बड़ी संघर्षशील रहीं हैं। सन् 1857 से स्वतंत्रता संग्राम ने हर देशवासी को स्वतंत्रता की महा क्रान्ति के साथ संकल्पित कर दिया। महर्षि अरविन्द घोष जी ने अपने आश्रम, पांडिचेरी में स्वयं को तीन महीनों के लिए बन्द कर लिया और अपने अध्यात्म बल से देश की स्वतंत्रता के लिए विशिष्ट क्रान्तिकारी आत्माओं का आवाहन कर देश के विभिन्न स्थानों पर अवतरित करवाया। उन क्रान्तिकारी आत्माओं ने पूरे देश में स्वतंत्रता के लिए प्रचण्ड वातावरण त्यार कर दिया। इनमें भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, मदन लाल ढींगरा, उधम सिंह जैसे सरीखे आजादी के दिवाने थे।
दूसरी ओर भारतीय संस्कृति, धार्मिक और आध्यात्मिक क्रांति की गूंज जागृत हो चुकी थी। हिमालय की देव सत्ता भारतीय संस्कृति, धार्मिकता और आध्यात्मिकता के संरक्षण के लिए चिंतित थी। देश में जन्म जन्मांतरों से जागृत किसी विशिष्ट आत्मा की खोज में थी। अन्ततः हिमालय की देव सत्ता को एक पन्द्रह वर्ष के बालक में यह सब गुण दिखे। बालक को प्रज्वलित दीपक की ज्योति में उनके पिछले कई जन्मों के मार्गदर्शक – सद्गुरू ने दर्शन देकर विशेष श्रेष्ठ कार्य सौंपे। इन कार्यों में देश की स्वतंत्रता में सक्रिय भागीदारी, सम्पूर्ण वांग्मय का पुनरोत्थान, गायत्री के चौबीस महापुरश्चरण करने के आदेश तथा अखण्ड ज्योति स्थापित करना थे। इस तरह दिव्य सत्ता के समक्ष संकल्पित होकर बसंत पर्व, 1926 ब्रह्म मुहूर्त में दिव्य अखण्ड ज्योति की स्थापना की।
सन्त पर्व, 7 फरवरी ,1926 से प्रज्ज्वलित यह दिव्य अखण्ड ज्योति दीपक, जो इस समय अखिल विश्व गायत्री परिवार, शान्तिकुंज, हरिद्वार में यथावत प्रज्ज्वलित है, अपना शताब्दी वर्ष बसन्त पंचमी महापर्व, 2026 पूरा कर रहा है।
आगे चल कर यह विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न बालक स्वतंत्रता सेनानी, अध्यात्म तत्ववेता वेद मूर्ति तपोनिष्ट पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के रूप में जाने-पहचाने गये। आचार्य जी ने चार वेद, अठारह पुराण, एक सौ आठ उपनिषदों, षड दर्शन, आरण्यक, नीतियों के भाष्य, बत्तीस सौ पुस्तकों का लेखन गगनचुंबी महान कार्य इसी दिव्य अखण्ड दीपक के समक्ष सम्पन्न हुआ ।
अखिल विश्व गायत्री परिवार, शान्तिकुंज, हरिद्वार दिव्य अखण्ड ज्योति का शताब्दी वर्ष पूरी श्रद्धा – निष्ठा से मना रहा है। इस उपलक्ष्य में बसंत पर्व, 2025 से पूरे देश में अखण्ड ज्योति कलश यात्राएं अनेक सुसज्जित रथों के माध्यम से निकाली हैं। ऐसी ही भव्य कलश यात्रा पूरे हरियाणा में घूमती हुई 14 अप्रैल,2025 को चण्डीगढ़ में प्रवेश करेगी और 18.4.2025 तक – पांच दिन केन्द्र प्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के विभिन्न संस्थानों, क्षेत्रों में जाएगी। स्थानीय गायत्री परिजन यात्रा की पूरी तैयारियों में जुटे हैं। जगह जगह अखण्ड ज्योति कलश यात्रा का स्वागत होगा, कलश यात्रा की अगवाई शांतिकुंज हरिद्वार के विद्वानों की टोली कर रही है। संस्थानों, मुहल्लों में विद्वानों द्वारा प्रवचन दिए जाएंगे।
अखण्ड ज्योति कलश यात्रा का उद्देश्य जन जन को भारत की विरासत से जोड़ना, मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण ,देश में धार्मिकता, आध्यात्मिकता और समरसता का जागरण करना है। दिन के समय यात्रा केन्द्र प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिदिन घूमेगी और सायंकाल दीप यज्ञ, प्रवचन/उद्बोधन होंगे। 19.4.2025 अखण्ड ज्योति कलश यात्रा मोहाली – पंजाब में प्रवेश करेगी।