हाल ही में पाकिस्तान की ओर से भारत को लेकर युद्ध संबंधी गीदड़भभकियों की झड़ी लगाई गई है। पाकिस्तानी नेताओं और सैन्य अधिकारियों ने एक बार फिर बयानबाजी के जरिए माहौल गरमाने की कोशिश की है। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि पाकिस्तान का रक्षा बजट और सैन्य ताकत इस तरह के किसी भी दुस्साहस के काबिल नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान को सलाह दी जाती है कि वह युद्ध की बातें करने से पहले खुद आईना देख ले और अपनी वास्तविक स्थिति का सही-सही आकलन कर ले।

(Publish by : Tanya Pandey
Updated: April 28, 2025 04:46 pm
Rajasthan, India)
पाकिस्तान का रक्षा बजट: एक चिंदी भर सच
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पाकिस्तान का रक्षा बजट न केवल भारत से बल्कि दुनिया के कई छोटे देशों से भी काफी कम है। वित्त वर्ष 2024-25 में पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट के लिए महज लगभग 1.8 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (करीब 6.4 अरब डॉलर) आवंटित किए हैं। वहीं भारत ने इसी अवधि में रक्षा क्षेत्र के लिए करीब 6.2 लाख करोड़ रुपये (करीब 74 अरब डॉलर) का विशाल बजट तय किया है। यानी कि भारत का रक्षा बजट पाकिस्तान से करीब 11 गुना ज्यादा है।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान को अपने सीमित बजट का एक बड़ा हिस्सा आंतरिक सुरक्षा समस्याओं (जैसे आतंकवाद, अलगाववाद और गृहयुद्ध जैसे हालात) में भी झोंकना पड़ता है। ऐसे में उसकी सैन्य तैयारियां बाहरी युद्ध के लिए कितनी सक्षम हैं, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
सैन्य क्षमताओं की तुलना: जमीन-आसमान का फर्क
- भारतीय सेना विश्व की सबसे बड़ी और सबसे अनुभवी सेनाओं में से एक है, जिसकी जनशक्ति, युद्धक क्षमता और अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां दुनिया भर में मानी जाती हैं।
- भारत के पास आधुनिक फाइटर जेट्स (राफेल, सुखोई-30MKI, तेजस), परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलें, स्वदेशी युद्धपोत और अत्याधुनिक तकनीकी क्षमताएं हैं।
- दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना आज भी बड़ी हद तक अमेरिकी और चीनी तकनीक पर निर्भर है, जिनमें से कई हथियार प्रणाली पुरानी हो चुकी हैं।
पाकिस्तान का वायुसेना बेड़ा भी भारतीय वायुसेना के मुकाबले छोटा और कमजोर है। वहीं भारतीय नौसेना की शक्ति पाकिस्तानी नौसेना की तुलना में कहीं अधिक विशाल और तकनीकी रूप से उन्नत है।
आर्थिक संकट और सैन्य कमजोरी
पाकिस्तान इस समय भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार कम हो रहा है, महंगाई चरम पर है और IMF से कर्ज लेने की नौबत आ चुकी है। ऐसे हालात में युद्ध जैसे महंगे दुस्साहस की कल्पना करना किसी ‘शेखचिल्ली’ के ख्वाब से कम नहीं है। युद्ध में केवल हथियार नहीं, बल्कि संसाधन, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट और दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता की भी जरूरत होती है — जो पाकिस्तान के पास फिलहाल दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही।
भारत की नीति: संयम, लेकिन तैयारी पूरी
भारत ने हमेशा से संयम का परिचय दिया है, लेकिन जब-जब पाकिस्तान ने दुस्साहस किया है, भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर एयर स्ट्राइक तक का मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारतीय सेना हर मोर्चे पर पूर्ण रूप से तैयार है और अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान को युद्ध की गीदड़भभकी देने से पहले अपनी आर्थिक हकीकत, सैन्य क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय स्थिति का ठंडे दिमाग से विश्लेषण करना चाहिए। क्योंकि बयानबाजी से युद्ध नहीं जीते जाते — इसके लिए असली ताकत, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक तैयारी चाहिए, जो फिलहाल पाकिस्तान के पास नहीं है। और याद रखिए, भारत शांति चाहता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर शक्ति का परिचय देने में कभी पीछे नहीं हटता।