बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रदेश में इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने SIR का विरोध जताते हुए चुनाव बहिष्कार के संकेत दिए हैं।

बिहार में जारी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बवाल बढ़ता ही जा रहा। विधानसभा के मानसून सत्र में SIR को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच तीखी नोकझोंक को देखने को मिली। संसद से लेकर सड़क तक विपक्ष बिहार वोटर वेरिफेकशन के मुद्दे को लेकर बवाल काट रहा है। इस बीच तेजस्वी यादव ने एक और धमाका कर दिया। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार करने के संकेत दिए।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने संकेत दिया है कि विपक्षी दल जनता और हमारे गठबंधन सहयोगियों से फीडबैक लेने के बाद बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार कर सकते हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि जब ये तय हो गया कि खुलेआम बेईमानी करना है। जब चुनाव पक्षपातपूर्ण और जोड़-तोड़ वाले तरीके से कराए जाएगा तो हम इसका बहिष्कार कर सकते हैं।
तेजस्वी यादव ने दिए चुनाव बहिष्कार के संकेत
RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा, एक बात स्पष्ट है कि सबकुछ तय हो गया है कि बेईमानी करनी ही है, वोटर लिस्ट से लाखों लोगों का नाम काटना है। तो हम चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर सकते हैं। हम सभी दल के लोगों से बात करेंगे।हम इसपर गंभीर होकर चुनाव बहिष्कार पर चर्चा कर सकते हैं, यह विकल्प हमारे पास खुला है।
असली खेला तो 1 अगस्त के बाद होगा-तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने आगे कहा, चुनाव का लोकतंत्र में क्या मतलब रह जाएगा, जब जनता ही वोट नहीं देंगी। चंडीगढ़ जैसे काम बिहार में भी होगो तो इसका क्या मतलब रहेगा। हम सभी दलों से मिलकर चुनाव बहिष्कार पर जल्द बड़ा फैसला ले सकते हैं। तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि ‘असली खेला तो 1 अगस्त के बाद ये लोग करेंगे। निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ERO) का असली खेला तो अभी बाकी है और हमलोगों को इसकी जानकारी भी है’।
विधानसभा में SIR को लेकर बवाल
बता दें इससे पहले 23 जुलाई को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर जमकर बवाल हुआ था। तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए था, 2003 में जब केंद्र मे अटल जी की सरकार थी, तब ये हुआ था। दो साल लगे थे SIR करने में, और अब ये दोबारा से हो रहा है। तो क्या हम ये मान लें कि 2003 से 2025 तक जो चुनाव हुए वो फर्जी हुए थे। तेजस्वी यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे कहा, इसक मतलब तो ये हैं कि नीतीश कुमार फर्जी तरीके से मुख्यमंत्री बने हैं? हम जो विधायक चुन कर आए हैं वो फर्जी वोटर से आए हैं?