
हिंदी साहित्य सम्मेलन’ एवं’ सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आणद (गुजरात) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित त्रि दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतर्गत एक वृहद् राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें विज्ञान- प्रौद्योगिकी, साहित्य, समाज तथा भाषा के क्षेत्रों से संबंधित विविध विषय थे।
हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं सरदार पटेल विश्वविद्यालय के आमंत्रण पर, विशिष्ट वक्ता के रूप मेंआमंत्रित गुरुग्राम से पधारे समर्पित हिंदी सेवी मोहन कृष्ण भारद्वाज ने राजभाषा परिनियमावली (अधिनियम) के पुनरीक्षण की आवश्यकता पर बोलते हुए कई सुझाव दिए |उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलते परिवेश में हमें यह सुनिश्चित करना होगा की राजभाषा परिनियमावली की नीतियां इन परिवर्तनों से मेल खाती हों, सरकार एवं नागरिकों के बीच संवाद एवं संपर्क बेहतर बने, नई सामाजिक एवं कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार वर्तमान कानून व हिंदी में सरकारी पोर्टल्स का पर्याप्त प्रयोग हो।
मेडिकल ,विज्ञान, एवं तकनीकी से संबंधित शब्दों का सही अनुवाद कर शब्दकोष को व्यापक एवं आधुनिक बनाया जाए।
विशेष सुझाव यह दिया कि समय-समय पर पुनरीक्षण करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए जो राजभाषा के प्रयोग में सुधार एवं परिवर्तन के लिए सुझाव दे सके| उनके सुझावों को विद्वत जनों ने तालियों की गड़गड़ाहट से समर्थन किया। हिंदी परिनियमावली की प्रासंगिकता विषय पर माधवराव सप्रे संग्रहालय भोपाल के संस्थापक निदेशक डॉ विजय दत्त श्रीधर ने कहा जब हिंदी की संशोधित परिनियमावली बनाई जाए तब उसमें किंतु -परंतु ना रहे| हमें भाषाई सोहार्द बनाना चाहिए|
विभिन्न विषयों पर देश के कोने-कोने से आए विद्वानों ने अपने विचार रखे| भाषा विज्ञानी पृथ्वी नाथ पांडे व सुरेखा शर्मा ने हिंदीभाषी विद्यार्थियों के लिए सरल भाषा में तकनीकी शब्दावली की आवश्यकता पर जोर दिया| साहित्य समीक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग विषय पर डॉ संगीता चौहान, प्रोफेसर कल्पना गवली, डॉक्टर पंकज मोहन सहाय ने विचार रखे |
डा प्रभात ओझा, चंद्र प्रकाश पांडे ,राकेश शर्मा ने वरिष्ठ नागरिक विमर्श विषय पर अपने विचार रखे। अधिवेशन के अंतिम दिन खुला अधिवेशन के अंतर्गत सम्मेलन के युवा प्रधानमंत्री कुन्तक मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया। इसी अवसर पर हिंदी के उत्थान के लिए प्रतिवर्ष की भांति कई प्रस्ताव पारित किए गए। सम्मेलन संरक्षक विभूति मिश्र ने बताया हमारा यह अधिवेशन आप समस्त हिंदीसेविओं के सहयोग से उच्च शिखर पर पहुंचा है ।हम अपने प्रयत्न से इसमें अन्य आयाम को जोड़ेंगे जिससे कि सम्मेलन अपनी सार्थकता सिद्ध कर सके।

सम्मेलन सभापति प्रोफेसर सूर्य प्रसाद द्विवेदी , विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर निरंजन भाई पटेल, अधिवेशन सभापति अभिराज राजेंद्र कुमार मिश्र ने विविध विषयों पर दीर्घ अवधि तक एक साथ बोलकर विद्वता का परिचय दिया | अधिवेशन का संचालन श्याम कृष्णा पांडे ने किया |
सम्मेलनके प्रचार मंत्री सचिंदर मिश्र ने कृतज्ञता ज्ञापन किया।इस समूचे आयोजन में डॉ किरण बाला पांडे, मोहन कृष्ण भारद्वाज, सुरेखा शर्मा ,रघुवीर सिंह बोकन , दौलत राम कौशिक, कृष्ण कुमार पांडे, हरिनारायण दुबे, चंद्रप्रकाश पांडे, डीके सिंह, पवित्र तिवारी ,रामगोपाल ,मंगल अनुज, डॉ कल्पना गवली, संगीता चौधरी ,अक्षय कुमार बाघ , जय किशोर साहू ,वीरेंद्र विजय साहू, खुशीराम शर्मा, विभा जायसवाल ,कुलदीप कुमार, पंकज लोचन, विमल चौधरी, विभूति मिश्र, दुर्गानंद शर्मा। इत्यादिक इत्यादिक देश के कई राज्यों से आए हिंदी सेवियों की सहभागिता रही। अंत में समवेत राष्ट्रगान के साथ राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हो गया।